Wednesday, December 23, 2009

(२७)

मैं समझा करता था कल तक,
मुझसा न कोई पीनेवाला;
पर उसने तो क्षण भर में ही
मदिरालय खाली कर डाला।

है खुशी मुझे, मुझसे भी अच्छा,
आया है इक मतवाला,
उसके हाथों में सौंप, खुशी से
छोड़ चला मैं मधुशाला।

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