Wednesday, December 23, 2009

(५९)

तू इतने निकट खड़ी मेरे,
छू सकूँ बढ़ाकर निज प्याला;
पर डर लगता है, यार मुझे
दुत्कार न दे साकीबाला।

मैं कैसे बतलाऊँ कितना,
मधु को चाहे ये मतवाला;
कब तक मैं करूँ प्रतीक्षा,
के अब पहल करेगी मधुशाला।

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