Wednesday, December 23, 2009

(५८)

मतवाला होकर मैंनें जब
मदिरालय का अपमान किया,
विधि, हरि, हर, पूज्य गुरूजी
तक ने, था मुझको दुत्कार दिया।

मादक मदिरे कर क्षमा मुझे,
मैं बहक गया था पी प्याला;
था भूल गया मेरा तन-मन-
जीवन सब मेरी मधुशाला।

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